बीजिंग में कोरोना फैल गया है। अपने जन्मस्थली वुहान को बर्बाद करने के बाद अब इसका कहर बीजिंग पर टूटा है जबकि वुहान शहर को सत्तर दिनों तक अत्यन्त कठोर लाकडाउन में रखा गया था और अन्य शहरों से उसका संबंध काट दिया गया था। सभी आवागमन पर रोक लग गयी थी। अब बीजिंग में कोरोना की एक नयी लहर चल पड़ी है जो कहते हैं प्रशीतित सामन मछलियों के बाजार से फैली है। अगर इस नए संक्र मण का कोई वुहान कनेक्शन नहीं है तो सचमुच यह एक भयावह परिदृश्य है। यह एक नयी कोरोना लहर है। भारत को इन सारे परिदृश्यों से सबक लेकर सावधान रहना है। अभी तो यहां पहली ही लहर थमी नहीं है, बढ़ती ही जा रही है। कब और कहां किसे संक्रमण हो जाए, कहा नहीं जा सकता क्योंकि वायरस देश के कोने कोने तक जा पहुंचा है और अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। कोई आश्चर्य नहीं कि हम छिट पुट कोरोना विस्फोट की खबरें सुनते रहें। जहां इसकी श्रृंखला बढ़ी, संक्रमण स्फोट हुआ। सबसे चिन्ता करने वाली बात यह है कि किसी को भी, यहां तक कि वैज्ञानिकों तक को यह पता नहीं कि यह कब तक रहेगा, कहां कहां रहेगा और कब जाएगा। पूरा वैज्ञानिक समाज असमंजस में है। हो सकता है नये स्थानों पर संक्रमण विस्फोट को ही दूसरी लहर मान लिया जाए जबकि यह पहले का ही एक इक्सटेंशन हो सकती है मगर सचमुच यदि कोविड 19 की नयी लहर आयी जैसा कि कई विषाणु विज्ञानियों को आशंका है तो स्थिति बदतर होती जाएगी। यह जनता के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालेगी। जहां लोग लाकडाउन खुलने से एक नयी आशा और स्पंदन भरी जिन्दगी की आस में बैठे हैं, फिर से घरों में कैद होना होगा। हमें इन्तजार है कब स्थितियां सामान्य हों और जीवन के कारोबार शुरु हों। जो समय बीता, सचमुच मनोघाती रहा है और अब सब जल्दी से जल्दी इस माहौल से उबरना चाह रहे हैं। अभी तो आशा बंधी है कि सब कुछ सामान्य होने वाला है मगर यदि दूसरी कोरोना लहर आयी और जो, जैसा कि कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है पहली की तुलना में ज्यादा घातक हुई तो एक बड़ी जनसंख्या मानसिक टूटन का शिकार होगी। तब अकेलेपन की अनुभूति, तनाव, अवसाद, दुश्चिंतायें आ घेरेंगी देश की आर्थिक दशा, घरेलू और जेन्डर हिंसा, बेरोजगारी सब अब तक के सबसे खराब स्थिति में जा पहुंचेंगे। आत्महत्याएं बढ़ेगी। भारत अभी कोरोना की पहली लहर से ही जूझ रहा है और यह स्थिति अगस्त माह के अंत तक ऐसे ही रहेगी। फिर संक्र मित संख्या घटेगी किन्तु वायरस बना रहेगा। दूसरी लहर आती है तो वह ज्यादा संभावना है कि सरहदों के पार से ही आएगी जैसा कि बीजिंग में सामन मछलियां बाहरी निर्यातक देशों नार्वे आस्ट्रेलिया कहीं से लायीं। युद्ध ही नहीं, कोरोना के नये आक्रमण से भी भारत को अपनी सरहदों को सुरक्षित रखना है। डा. अरविंद मिश्रा
विश्लेषणः बीजिग, भारत और कोविड